बेताल: जोम्बीज और आर्मी की जंग, कहानी ऐसी कि एक दो सलाह आप भी दे ही देंगे

Betaal

नेटफ्लिक्स ने इस साल कई बड़ी और धमाकेदर वेबसीरीज बनाने की कोशिश की है। उन्हीं में से एक है, हॉरर कहानी वाली “बेताल”। हालाँकि, इस सीरीज ने लोगों के बीच कितना धमाका मचाया वो तो आपको इस पूरे रिव्यू को पढ़ के ही समझ आएगा।

तो चलिए, बिना समय गंवाए सीधे बात करते हैं बेताल की।

शाहरुख़ ख़ान के प्रोडक्शन हाउस तले बनी इस वेब सीरीज़ में विनित कुमार और अहाना कुमरा मुख्य भूमिका में हैं। आपमें से कई सारे लोग विनित कुमार और अहाना कुमरा को नहीं जानते होंगे। इसलिए, नाम सुनकर घबराईए नहीं क्यूँकि इस सीरीज में इनका नाम नहीं बल्कि इनकी अदाकारी मायने रखती है।

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कहानी आदिवासियों की है। गांव में एक टनल होता है, जिसे तोड़कर हाईवे से जोड़ने का मकसद है। लेकिन, गांव वाले टनल को तोड़ने का विरोध करते हैं और कॉन्ट्रैक्टर उनकी बात समझना नहीं चाहता। क्यूंकि, सीएम साहब को हाईवे का उद्घाटन करना होता है।

फिर, कॉन्ट्रैक्टर वही करता है जो आजकल की राजनीति में भी नेता जी करवाते हैं यानि किसी भी तरह करो लेकिन करो। तो कॉन्ट्रैक्टर भी क्या करता, फोर्स को बुलाकर जबरदस्ती टनल को तुड़वाता है।

अब आप ये सोच रहे होंगे कि, इसमें तो कोई भूत वाली बात ही नहीं हुई, फिर ये हॉरर कहानी कैसे ? दरअसल, असल कहानी इसके बाद यहीं से शुरू होती है।

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बेताल और मेरे ख्याल – क्या है ख़ास और कहां रह गयी कमी?

कुल 4 एपिसोड यानि करीब तीन घंटे की यह वेब सीरीज़ हॉरर कहानी वाली फीलिंग लेने के लिहाज़ से काफी अच्छी है। चाहे आप दिन में देखें या रात में डरना तो तय है। वैसे, अगर-अलग लोगों के साथ डरने का प्रतिशत थोड़ा-बहुत ऊपर नीचे हो सकता है। लेकिन, अगर मैं अपनी बात बताऊं तो दिन में देखने के बावजूद कुछ एक घंटों तक बेताल का वो डर मेरे अंदर बना हुआ था।

हालांकि, फैक्ट के हिसाब से देखेंगे तो यह सीरीज आपको निराश करेगी लेकिन, तकनीक के मामले में यह आपको ठीक लग सकती है। इसमें सबसे ख़ास जो लगता है, वह है एक्शन और नाइट विजन। आपको देखकर किसी हॉलीवुड एक्शन फ़िल्म वाली फील आएगी।

इस वेब सीरीज़ में, माहौल छोड़कर बाकी सब कुछ औसत-औसत सा ही है। और, मुझे लगता है कि आपके देखने के लिए इसका माहौल ही काफी है।

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शायद हो सकता सकता है कि, आप इसे देखकर ज्यादा डरेंगे नहीं, हालांकि आवाज़ और अचानक से आई तस्वीर से चौंक जरुर जाएंगे आप।

पहली बार ऐसे जॉम्बी आए हैं जो ब्रिटिश राज के हैं। और ख़ास बात तो यह है कि, वह बंदूक और बम का सहारा ले रहे हैं। जबकि वह किसी को भी गोली से नहीं मारते बल्कि काट लेते हैं। और तो और काटने के बाद आदमी भी जॉम्बी बन जाता है। लेकिन वह सबके साथ ऐसा नहीं करते हैं, वह भूत की तरह लोगों के दिमाग पर भी कब्जा कर लेते हैं।

कभी कभी आपके दिमाग में भी मेरे तरह एक सवाल आ सकता है कि, समझ में नहीं आ रहा, आखिर बनाना क्या चाह रहे थे ? लेकिन, मेरी मानें तो इन सवालों को इग्नोर करते हुए आप भी इस सीरीज का मज़ा लेने पर फोकस कीजिएगा।

एक्टिंग और किरदार ठीक ठाक ही हैं। यानि, ना तो ये उम्दा की श्रेणी में आते हैं और ना ही खराब। अहाना कुमरा के चेहरे पर जले हुए का मैकअप किया गया है, लेकिन क्यों? पता नहीं। अगर आपको पता चले तो कमेंट के जरिए हमें भी बता दीजिएगा।

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इस सीरीज में आदिवासी पुनिया का किरदार काफी महत्वपूर्ण है। लेकिन कमाल की बात यह है कि पूरा गांव अलग भाषा में बात कर रहा होता है, तो पुनिया कानपुरिया टच के भोजपुरी अवधी में बोल रही होती है। लेकिन आप इन बातों पर ज्यादा फोकस मत कीजिये और इसे देखिए, बहुत कुछ अलग देखेंगे आप।

दो एपिसोड के बाद यह सीरीज आपको बोर करना चाहेगी लेकिन, इसमें दिखाए गए हॉलीवुड एक्शन, नाईट विजन और डरावनी आवाज़ें आपको जाने नहीं देगी। और, फिर आप भी मन मसोस कर उनकी बात मान लेंगे।

बेताल का वैसे दो अर्थ निकलता है – एक तो बेताल मतलब राक्षस, और दूसरा बेताल मतलब होता है बिना किसी ताल के। तो इसमें भी दोनों बातें हैं, आपके हिसाब से इस सीरीज के लिए सही मतलब कौन सा होना चाहिए, कमेंट करके बताईएगा जरूर।