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Kota Factory: इस फैक्ट्री की कहानी और कलाकारों की उम्दा अभिनय आपको अपने कॉलेज की वर्चुअल सैर करा देगी

TVF और You Tube पर एक सीरीज रिलीज़ हुई थी जिसका नाम का “कोटा फैक्ट्री“, इस सीरीज की सबसे बड़ी सफलता आज के डिजिटल युग में कंटेंट को काफी सार्थक तरीके से ब्लैक एंड व्हाइट में पेश करना है। और, दूसरी बात कि इसके किसी एपिसोड में किसी भी एंगल से आप इसमें कमियां नहीं निकाल पाएंगे।

इस सीरीज को देखकर आप कुछ समझे या ना समझें पर एक बात तो जरुर समझ जाएंगे कि, “माँ-बाप के निर्णय गलत हो सकते हैं पर उनकी नीयत नहीं” यह डायलॉग मेरी नहीं, इसी सीरीज में कही गई है।

यह सीरीज जिस फैक्ट्री पर आधारित है, वो राजस्थान का कोटा शहर है। इस फैक्ट्री में एक तरफ से छात्र/छात्र तो काफी डाले जाते हैं, लेकिन दूसरी तरफ से इंजीनियर निकल ही आएगा, इसकी कोई गारंटी नहीं।

यह कहानी भले ही कोटा की है लेकिन कहानी कोटा या आईआईटी तक ही सीमित नहीं है। यह कहानी किताबों के बीच ज़िंदगी को बेहतर बनाने की संघर्ष की पूरी दास्तान है।

कोटा फैक्ट्री: फैक्ट्री नहीं कैरियर जाल है ये

कुल 5 एपिसोड वाली इस सीरीज का पहला एपिसोड 48 मिनट का है जबकि बाकी 4 एपिसोड लगभग 40 मिनट का है। इसकी कहानी और कलाकारों की उम्दा अभिनय आपको लगातार बैठ कर देखने की पूरी दवाब डालेगी। लेकिन, हो सकता है कि आपकी समय की पाबंदियां आपको खींच ले जाए। लेकिन, ऐसा होगा नहीं आप इसकी कहानी और शानदार एक्टिंग के जाल में ऐसे फसते चले जाएंगे कि पांच एपिसोड के बाद आप इसके छठे एपिसोड को भी सर्च करेंगे लेकिन,आपको मिलेगा नहीं।

कोटा फैक्ट्री देखकर मुझे ऐसा लगा, जैसे मैं अपने स्कूल-कॉलेज के दिनों में लौट चुका हूं और स्क्रीन पर खुद को निहार रहा हूं। इस सीरीज को देखने के बाद मैं एक बात की तो गारंटी दे सकता हूं कि, आप बेशक किसी भी उम्र के हों लेकिन इस सीरीज को देखने के वक़्त आप भी मेरे जैसा ही महसूस करेंगे।

इस सीरीज एक ख़ास कैरक्टर है जिसका नाम है जीतू भैया। जीतू भैया उर्फ़ जीतेन्द्र कुमार की तारीफ़ में मैं बस इतना कहूंगा कि, कोटा फैक्ट्री से पहले अगर आप इन्हें नहीं जानते होंगे तो आप इनकी पुरानी सभी सीरीज तो देखेंगे ही साथ ही इनकी आने वाली फिल्म या सीरीज का भी बेशब्री से इंतज़ार रहेगा आपको। कमोबेश इस सीरीज में काम करने वाले हर एक एक्टर की एक्टिंग ऐसी ही है।

एक और किरदार जो याद रह जाता है वह है मीना का। मीना इनको प्यार से बुलाते हैं पर पूरा नाम है बालमुकुंद मीना। उनके किरदार से और उसकी शुद्ध हिंदी से आपको बरबस ही प्यार और संवेदना हो जायेगी और आपको अपने कॉलेज का कोई ऐसा ही दोस्त याद आ जाएगा जिसकी शुद्ध हिंदी उसे औरों से अलग बनाता था।

आसान शब्दों में अगर कहें तो, माता-पिता की उम्मीदें और उन उम्मीदों पर खरा उतरने का मानसिक दबाव और इस बीच जीतू भैया जैसा टीचर। कुछ ऐसी ही कहानी है कोटा फैक्ट्री की।